
Today is SUNDAY.......SUPER SUNDAY.....
the relaxing day of the week...the funniest day of the week..its all depend upon you...how the SUNDAY is for you........
i always remember that SUNDAY is our sportive day since childhood...for so many years...
playing so many typical childish game in childhood especially on SUNDAY...
that is why it always have a good place in my memories....
in fact there are so many GOOD-BETTER-BEST ..SUNDAYS in my memories...
just like all that this SUNDAY....turn out to be good one...memorable one for me..

रविवार की शाम थी एक झील के नाम ...दरअसल शाम को मै अपने दोस्त के साथ झील किनारे बने एक पार्क
"शाहपुरा पार्क " में घुमने गया था...उस झील में सूर्यास्त देखने का मजा ही कुछ और है ....
ढलते लाल-पीले सूरज का प्रतिबिम्ब अगर जलाशय के नीले जल में नहीं देखा तो समझो कुछ नहीं देखा ...
प्राकृतिक सुन्दरता का भी कोई जवाब नहीं ...
सूर्यास्त के बाद मैं पार्क में बैठा था , मेरा दोस्त फोटो खींचने में व्यस्त था । मैं चारों ओर हरे-भरे पार्क में नज़रे घुमा रहा था । मेरे ही सामने कई छोटे-छोटे बच्चे फुटबाल खेल रहे थे,उचल-कूद कर रहे थे । वही उपस्थित कई पिता अपने बच्चों के साथ बच्चा बनकर खेल ... खेल रहे थे । कई बुजुर्ग अपने पोते-पोतियों के साथ , अपने हमउम्र बुजुर्गों के साथ बैठकर बाते करते हुए नजर आ रहे थे । कई युवा अपने दोस्तों के साथ झील किनारे बैठकर झील में पत्थर फेंक रहे थे , मस्ती-मजाक कर रहे थे , फोटो खींच रहे थे ।कई प्रेमी-युगल अकेले में बैठकर प्यार भरी बातें कर रहे थे ।एक तरफ पार्क का फोटो-ग्राफर उन लोगो की फोटो खींच रहा था जिनके पास कैमरा नहीं था , तो दूसरी ओर एक बुजुर्ग मधुर बांसुरी बजाकर माहौल में मिठास घोल रहे थे। इसी बीच हरे-भरे पेड़-पौधे वातावरण में ठंडक और सदभाव बनाये हुए थे /
उस दिन मैं हर आदमी में अपने आप को देख रहा था /
हरी घास में खेल रहे बच्चो को फुटबाल खेलता देखकर मैं अपने बचपन में चला गया /
मैं खुद व अपने दोस्तों के साथ फोटो खिंचाते हुए वर्तमान में मजे ले रहा था /
फिर अपने भविष्य की संभावनाओं को तलाशने लगा / मुझे उस समय लगा शायद मैं यह चाहता हूँ कि आज के १० साल बाद मैं भी इसी तरह झील किनारे किसी पार्क में सूर्यास्त देखते हुए हरी घास में

मैं यह देख रहा था कि एक बुजुर्ग अपने पोते-पोतियों के साथ बैठकर प्यार भरी बातें कर रहे थे ,उन्हें देखकर मैं सोच रहा था कि उसी तरह मैं भी किसी दिन अपने बुढ़ापे में इसी तरह किसी पार्क में बैठकर बुढ़ापे के मजे लूँगा /
उस समय मेरे दिल से दुआएँ निकल रही थी की काश उम्र के हर पड़ाव पर इसी तरह के SUPER SUNDAY हर आदमी की किस्मत में हो /
यह सोचते-सोचते मैं झील किनारे पहुँच चुका था ,और ऊपर-नीचे आगे-पीछे होते हुए पानी को निहार रहा था / लहरें एक छोर से दूसरे छोर पर जा रही थी / एक लहर ख़त्म ..तो दूसरी लहर आ जाती थी / ये लहरें मुझे समय का अहसास दिला रही थी / जिस तरह लगातार बहता हुआ पानी स्वच्छ बना रहता है .उसी तरह समय भी गतिशील है और निरंतर बदलता रहता है / कभी ख़ुशी तो कभी गम आते रहते है ..ये जीवन का हिस्सा है और हमें घबराना नहीं चाहिये /
अब धीरे-धीरे सूर्य अस्त हो चुका था / प्राकृतिक उजाला ख़त्म हो चुका था / आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे ,किन्तु पार्क में अब भी रोशनी थी / प्राकृतिक रोशनी की जगह अब अप्राकृतिक बल्बों ने ले ली थी / बच्चे , बूढ़े ,बच्चो के पिता ...सभी लोग अपने अपने घर वापिस जा रहे थे / अब मैं सिर्फ और सिर्फ वर्तमान में आ चुका था / पेड़ भी शांत हो चुके थे / झील किनारे सड़क पर बने फुटपाथ से मैं वापिस अपने घर जा ही रहा था ....तभी मैंने देखा ...जैसे जैसे रात गहराती जा रही थी , वैसे वैसे फुटपाथ पर अँधेरा बढ़ते जा रहा था , लेकिन बहुत से लोग बड़ी-बड़ी कारों से , कॉलेज के कई युवा लड़के बाइक से झील किनारे बने फुटपाथ के पास आराम से रुक रहे थे और अपने दोस्तों के साथ शराब और सिगरेट पी रहे थे और काफी जोर जोर से चिल्लाते हुए मजे ले रहे थे /
लेकिन झील का पानी अब भी आराम से बह रहा था ......हमेशा की तरह............
very nice blog..
ReplyDeleteMeri nayi kavita : Tera saath hi bada pyara hai..(तेरा साथ ही बड़ा प्यारा है ..)
Banned Area News : Strong encryption of wireless technology not unique: BlackBerry
nice..no words...
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